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तीसरा प्रहर
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तिसरा प्रहर
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प्रहर
Meanings: 13; in Dictionaries: 7
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उभे दोन प्रहर
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मागला प्रहर दिवस राहतां
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धनगरभाई, सव्वा प्रहर दिवस येई, तेव्हां खोडीचें वेड जाई
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प्रहर दिवस येणें
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संत तुकाराम - आठ प्रहर माता । वाहे वेडि...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट न केलेले अप्रसिद्ध अभंग
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संत जनाबाई - एक प्रहर रात्र झाली । फेर...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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तीसरा गेयर
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तीसरा गियर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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तीसरा
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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पूर्णदशक - ॥ समास तीसरा - सूक्ष्मनामाभिधानाम ॥
इस ग्रंथके पठनसे ‘‘उपासना का श्रेष्ठ आश्रय’ लाखों लोगों को प्राप्त हुआ है ।
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भवनभास्कर - तीसरा अध्याय
वास्तुविद्याके अनुसार मकान बनानेसे कुवास्तुजनित कष्ट दूर हो जाते है ।
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बहुजिनसी - ॥ समास तीसरा - निस्पृहसिकवणनिरूपणनाम ॥
‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे ।
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जगज्जोतिनाम - ॥ समास तीसरा - देहआशंकाशोधननाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास तीसरा - नामस्मरणभक्तिनाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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नामरूप - ॥ समास तीसरा - उभारणीनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
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अध्याय तीसरा - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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स्तवणनाम - ॥ समास तीसरा शारदास्तवननाम ।
इस ग्रंथ के श्रवण से ही ‘श्रीमत’ और ‘लोकमत’ की पहचान मनुष्य को होगी.
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास तीसरा - चतुर्दशब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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भीमदशक - ॥ समास तीसरा - सिकवणनिरूपणनामः ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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देवशोधन नाम - ॥ समास तीसरा - मायोद्भवनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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मूर्खलक्षणनाम - ॥ समास तीसरा - कुविद्यालक्षणनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
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शिकवणनाम - ॥ समास तीसरा - करंटलक्षणनिरूपणनाम ॥
परमलाभ प्राप्त करने के लिए स्वदेव का अर्थात अन्तरस्थित आत्माराम का अधिष्ठान चाहिये!
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विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास तीसरा - भक्तनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
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आत्मदशक - ॥ समास तीसरा - श्रेष्ठअतरात्मानिरूपणनाम ॥
देहप्रपंच यदि ठीकठाक हुआ तो ही संसार सुखमय होगा और परमअर्थ भी प्राप्त होगा ।
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तत्त्वान्वय का - ॥ समास तीसरा - पृथ्वीस्तवननिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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प्रकृतिपुरुष का - ॥ समास तीसरा - श्रवणनिरूपणनाम ॥
यह ग्रंथ श्रवण करने का फल, मनुष्य के अंतरंग में आमूलाग्र परिवर्तन होता है, सहजगुण जाकर क्रिया पलट होता है ।
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गुणरूपनाम - ॥ समास तीसरा - निःसंगदेहनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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अखंडध्याननाम - ॥ समास तीसरा - कवित्वकलानिरूपणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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सगुणपरीक्षा - ॥ समास तीसरा - सगुणपरीक्षानाम ॥
श्रीमत्दासबोध के प्रत्येक छंद को श्रीसमर्थ ने श्रीमत्से लिखी है ।
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ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास तीसरा - सूक्ष्मआशंकानाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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मंत्रों का नाम - ॥ समास तीसरा - शिष्यलक्षणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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তৃতীয় প্রহর
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তৃতীয় প্রহৰ
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आवर्त्तनम्
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तिनपार
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மூன்றாம்யாமம்
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మూడు ఇరవైనాలుగు నిముషాలు
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ਤੀਸਰਾ ਪਹਿਰ
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ત્રીજો પ્રહર
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ಮೂರನೆ ಪ್ರಹರ
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മൂന്നാം യാമം
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लावणी ६१ वी - अमृतवेळा चांगली, एक प्रहर...
लावणी म्हणजे गीत, नृत्य आणि अदाकारी यांचा त्रिवेणी संगम. लावणी शृंगाराची खाण आणि महाराष्ट्राची शान आहे.
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घडीच्वा प्रहर होत नाहीं
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दोन प्रहर
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दोन प्रहर आचार, नंतर अनाचार
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खंड दोन प्रहर
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पंडितराज जगन्नाथ - अंक तीसरा
‘पंडितराज जगन्नाथ’या नाटकावा नायक महान् संस्कृत कवि आणि विख्यात साहित्य-शास्त्र-पंडित जगन्नाथ हा आहे. यातील ‘गंगालहरी’ स्तोत्र आजही घरोघरी वाचले जाते.
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